स्वर्ण युग में जीवन कैसा है?

स्वर्ण युग का अर्थ है शून्य अहंकार; प्रारंभिक स्थिति यह है। तो, स्वर्ण युग में, जोर स्वर्ण महलों और हीरे पर नहीं होगा। बेशक यह भौतिक स्तर पर हो रहा है। जब अहंकार अनुपस्थित होता है, तो सूक्ष्म और अलौकिक पर जोर दिया जाता है। संगमयुग पर फ़रिश्तों (angels)द्वारा जो अनुभव किया जाता है वह स्वर्ण युग में जारी है; यह उनके लिए सजीव(alive) और महत्वपूर्ण है। हर कोई एक आत्मा है और यद्यपि वे आत्मा और भगवान की भाषा का उपयोग नहीं करते हैं, ये पूर्णता और आनंद के लोग हैं, बहुत ही प्यारे, नुकसान से परे और हानिरहित हैं… .. भगवान समान और सभी के प्यारे, हमेशा के लिए। शब्दकोश से उच्चतम शब्दों का उपयोग, उनको और उनकी भावनाओं को वर्णन करने के लिए किया जाना चाहिए।

बेहिसाब सुख (Uninhibited Happiness)

हर कोई इस तरह है; बेहद प्यारा और प्यार के काबिल। इस आयाम(dimension) में, लौह युग में नाटक के स्तर पर अनुभव किए गए प्रेम की तुलना में प्रेम बेहिचक(uninhibited) है। यह बेहिचक है क्योंकि अस्वीकृति का कोई डर नहीं है, नुकसान का डर नहीं है, कोई अधिकारात्मकता (possessiveness)नहीं है, प्रतिस्पर्धा (competition)का डर नहीं है; रावण अनुपस्थित है। जिस प्रकार ईश्वर प्रेम का सागर है, उसी प्रकार यहाँ भी, प्रेम एक महासागर है और सभी हमेशा के लिए प्यारे हैं और अपार प्रेम के योग्य हैं। एक-दूसरे से संबंधित होने की भावना है, लेकिन अधिकारात्मकता की नहीं। सुरक्षा और एक अविनाशी बंधन है। यदि किसी प्रकार की असुरक्षा है तो ही कोई अधिकार की भावना आती है। इस शाश्वत बंधन की सुरक्षा के कारण, स्वतंत्रता और हल्कापन है। उनकी खुशी बेहिसाब और पूर्ण है। वे जानते हैं कि वे हर पहलू में सर्वश्रेष्ठ हैं; उनके खजाने हमेशा के लिए सबसे अच्छे हैं और उनकी खुशी ‘ कार्टून ’नाटक पर आधारित नहीं है।

क्योंकि उनके पास ‘पारस बुद्धि’ है, वे ‘कार्टून’ की चमक से धोखा नहीं खा रहे हैं और इसलिए, उनके पास कोई अधिकारात्मकता नहीं है, जैसे कि ‘यह मेरा घर है’ या ‘यह मेरी कार है’। वे इसे एक बादल की तरह देखते हैं जो उनके सामने आता है … यह सिर्फ एक बादल है। वे ‘कार्टून’ के एपिसोड देखते हैं।

आत्म जागृति

देवता कैसे दिखते हैं? वे सितारों की तरह दिखते हैं। ‘आत्मा के प्रति जागरूक’ का अर्थ है कि वे जानते हैं कि उनकी दुनिया समृद्ध है। ‘पारस बुद्धी’ का अर्थ है कि उनके पास इस आश्चर्य (wonder)की सराहना करने की दृष्टि है; इस शाश्वत दुनिया की समृद्धि, इसका आश्चर्य, इसकी स्थिरता। वे एकांत का आनंद लेते हैं और निरंतर परिवर्तन की आवश्यकता महसूस नहीं करते हैं। वे किसी भी चीज़ के गुलाम नहीं हैं; वे कार्टून को बदलते देखकर खुश हैं, लेकिन वे इसके गुलाम नहीं हैं। उनकी आंतरिक दुनिया भरी हुई है और उस वजह से, बाहरी सब कुछ उनका मनोरंजन करने के लिए प्रकट होता है। किसी भी परिवर्तन यानी मृत्यु या जन्म के साथ कोई दुःख नहीं है। क्योंकि उन्होंने अज्ञानता की लकीर को पार नहीं किया है, इसलिए शून्य दुःख है।